रूमी मस्तगी की पहचान – फायदे, गुणधर्म || Rumi Mastagi in Hindi

Posted on April 1st, 2020 10:12 PM

रूमी मस्तगी की परिचय – इसे मस्तगी या मस्तकी आदि नामों से जाना जाता है | अंग्रेजी में Mastic एवं लेटिन में Pistacia lentiscus Linn. नाम से जाना जाता है | इसका 15 फीट तक ऊँचा पेड़ होता है |

मस्तगी के पते सीधे पक्षवत होते है | फल 4 से 8 मिमी व्यास के होते है, आकार में गोल एवं रंग में काले होते है | रूमी मस्तगी के पोधे के तने एवं शाखाओं से गाढ़ा जम्मा हुआ गोंद प्राप्त होता है | इसी गोंद को बाजार में रूमी मस्तगी के नाम से जाना जाता है |

रूमी मस्तगी की पहचान – मस्तकी के पौधे से प्राप्त होने वाले गोंद को ही रूमी मस्तगी के नाम से जाना जाता है | इसकी पहचान के लिए सबसे आसान तरीका है कि यह रंग में कुछ पिताभ श्वेत अर्थात पीलापन लिए हुए सफ़ेद होता है | यह छोटा गोल एवं लम्बा दोनों प्रकार से बाजार में बेचा जाता है |

जब इसे तोड़ा जाता है तब यह रंग विहीन होता है लेकिन स्पर्श मात्र से सफ़ेद चूर्णव्रत मालूम होता है | इसमें हल्की गंध एवं स्वाद में कुछ मीठापन (मधुर) होता है | इसे तोड़ने पर यह कणों में टूटती है एवं बाद में चिपचिपी हो जाती है |


रूमी मस्तगी के औषधीय गुण धर्म

रस – मधुर एवं कषाय |

गुण – लघु एवं रुक्ष |

विपाक – मधुर

वीर्य – उष्ण |

यह दोष्कर्म में वात एवं पित दोष को दूर करने वाली है | इसके साथ ही मूत्रल (पेशाब लगाने वाली), वृष्य (शक्तिदायक) एवं ग्राही है |

रूमी मस्तगी के फायदे या लाभ

आयुर्वेद के अनुसार इसे विशिष्ट यौन शक्ति वर्द्धक औषधि माना जाता है | यह यौन दुर्बलता को दूर करने में उत्तम सिद्ध होती है | रूमी मस्तगी के साथ, विदारीकन्द, अकरकरा, लौंग, दालचीनी, सालमपंजा, अश्वगंधा एवं जायफल आदि मिलाकर सेवन करने से सभी प्रकार की यौन कमजोरी में फायदा मिलता है

कफज विकार – कफज विकारों में फायदेमंद है | यह तासीर में उष्ण होने से जमे हुए कफ को शरीर से बाहर निकालने का कार्य करती है | कफशमन के लिए इसके 2 से 3 ग्राम चूर्ण का सेवन करना चाहिए |

पेशाब रुक – रुक के आना – यह अच्छी मूत्रल औषधि है इसलिए मूत्रकृच्छ एवं अश्मरी जैसी समस्या में प्रयोग की जा सकती है | इस समस्या में इसे आधा से 1 ग्राम तक अधिकतम सेवन किया जाना चाहिए |

मुंह की दुर्गन्ध – रूमी मस्तगी की खुशबू मुंह में आने वाली दुर्गन्ध को दूर करती है | इसे थोड़ी मात्रा में चूसने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है |
सुजन – सुजाक जैसे रोगों में भी इसे आधा से 1 ग्राम तक सेवन करवाना चाहिए | यह सभी प्रकार की सुजन को दूर करने में कारगर औषधि है |

मन्दाग्नि – जठराग्नि कमजोर पड़ने पर भूख कम लगने लगती है | रूमी मस्तगी मन्दाग्नि को खत्म करती है | यह जठराग्नि को सुचारू करके खुल कर भूख लगाती है |

दांतों की समस्या – रूमी मस्तगी अच्छी एंटीओक्सिडेंट गुणों से युक्त होती है | इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते है अत: मुंह की दुर्गन्ध दूर करने के साथ मसूड़ों को मजबूत करने का कार्य भी करती है |




गैस या आफरा
 – यह गैसट्राईटिस को ठीक करने में सहायता करती है | इसमें एंटी इन्फ्लामेंट्री औषधीय गुण होते हैं जो पेट में गैस, कब्ज एवं आफरा की शिकायत को दूर करती है |

रक्त स्राव – यह शरीर में होने वाले रक्तस्राव को दूर करने में भी सहायक औषधि है |

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